नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि सरकार इस कानून को रद्द करे। लेकिन केंद्र सरकार ने कह दिया है कि वह इस पर पीछे नहीं हटेगी। इस बीच कई जगहों पर नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर भ्रम भी फैलाए जा रहे हैं। देशवासियों के मन में भी इन दोनों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इसलिए हम आपके सवालों के जवाब लेकर आए हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि नागरिकता कानून और एनआरसी दरअसल है क्या और इन दोनों में क्या अंतर है।
क्या कहता है नागरिकता कानून
- 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धर्मों के अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी और ईसाई) को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा।
- ऐसे लोग, जिनके पास अब तक भारत की नागरिकता नहीं है, उन्हें कुछ शर्तों के आधार पर नागरिकता लेने में आसानी होगी। लेकिन उन्हें कम से कम छह साल भारत में बिताने होंगे। पहले ये समय सीमा 11 साल की थी।
आसान शब्दों में ये कहा जा सकता है कि इस कानून के जरिए मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने के नियम आसान बनाए गए हैं।
इन राज्यों में कानून लागू नहीं
- संविधान की छठी अनुसूची में शामिल राज्य व आदिवासी क्षेत्रों में नागरिकता कानून 2019 लागू नहीं होगा। ये प्रावधान बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत अधिसूचित ‘इनर लाइन’ क्षेत्रों पर भी लागू नहीं होंगे।
- असम : कारबी आंगलोंग जिला, बोडोलैंड, नार्थ चाछर हिल्स जिला
- .मेघालय : खासी हिल्स, जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स जिले
- मेघालय में सिर्फ शिलॉन्ग को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में कानून लागू नहीं होगा
- त्रिपुरा के आदिवासी जिले
- मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानि NRC में सभी भारतीयों का विवरण शामिल है। एनआरसी उन सभी लोगों की बात करता है जो गैरकानूनी तरीके से भारत में रह रहे हैं। इसमें किसी के धर्म को आधार नहीं बनाया गया है।
कानून के तहत कौन हैं अवैध प्रवासी
- जिसने वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया हो।
- जो अपने निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक भारत में रह रहा है।
क्या है NRC?

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